अधूरे से रहते मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना !!
मानो जैसे मेरी हर शायरी की रूह तुम ही हो !!
खून भी निकलते वक्त मुझे से बोल पड़ा !!
बाहर ही रहने दे तेरे अंदर उलझन बहुत है !!
पिछले बरस तू बाहों से जा चुकी !!
फ़िर दिल से जाती क्यू नहीं !!
हम भी खो जायेंगे अपनी दुनिया में इस कदर !!
कि वो ढूंढेगी बहाने मुझसे बात करने के !!
मेरा कत्ल करने की उसकी साजीश तो देखो !!
करीब से गुज़री तो चेहरे से पर्दा हटा लिया !!
zindagi dard bhari shayari
मैं बुरा या मुझ में लाख बुराई है !!
चलो तुम अपनी एक अच्छाई तो गिनवा दो !!
बस यूँ उम्र कटी दो अल्फ़ाज़ में !!
एक आस में दूसरी काश में !!
तेरे बाद हमारा हमदर्द कौन बनेगा !!
हमने तो सब छोड़ दिया तुझे पाने की जिद में !!
यकीन मानो ये मोहब्बत इतनी भी आसान नही !!
हजारों दिल टूट जाते हैं एक दिल की हिफाज़त में !!
ना रहा करो उदास किसी वेबफा की याद में !!
वो खुश है अपनी दुनिया में तुम्हारी दुनिया उजाड़ के !!