dil ki baat shayari
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये,
फ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न,
बदल जाये,कभी मुझको अगर भुलाना,
चाहो तो दर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाए,
हर एक शख़्स से मिलना कहाँ मुनासिब था,
मिले उन्हीं से जहाँ दिल मिले ख़याल मिल
जब दिल से दिल मिल जाता है वो दौरए,
मोहब्बत आह न पूछकुछ और ही दिन हो,
जाते हैं कुछ और ही रातें होती हैंशमीम जयपुरी,
काव्य कैफ़े का अगला एपिसोड आयोजित,
होने जा रहा है। यह कार्यक्र
सितंबर शनिवार शाम बजे से अमर,
उजाला के नोएडा दफ़्तर में होगा,
इसमें जो कवि आएंगे उनमें शामिल हैं,
बर्फ की सर्द सफेद चादर,
तुम जमी रहनाधूप की तपिश में भी,
मत पिघलनाधूप के रंग में मत रंगना,
अपना न दिखने वाला रंगदूसरे के,
प्रभाव में आकरमत बदलना,
जीवन जितना होता है,
कोई उतना कहाँ जी पाता है,
कभी भाग्य कभी अकर्मण्यता
रोना यही रह जाता है,
भूल से यदि गलती हो जाए
निज गलती को स्वीकार करें
बार-बार एक ही ग
मन के अंत में आशाओं का,
कोई भाव निरूत्तर रह जाता है,
समय के चलते चक्रव्यूह में,
कोई ठहर कहाँ पाता है,
कुछ स्म,
इतनी सी बातों में ही तो दुनियां आन समाई है,
इतनी सी बातों में खुशियाँ इतनी में रूसवाई है,
निकली इतनी उम्र अभी तक इतने भर की चाहत में,
कीमत इतनी सी बातों की समझ आज जो आई है,
कुछ रिश्ते अपने होकर भी खास नहीं होते,
जो सिर्फ निभाने के लिए पास होते हैं,
जिन्हें आजमाया नहीं जा सकता,
बस, वे हमें आजमाने के लिए होते हैं,
जिन्हें झूठलाया भी नहीं जा सकता,
बस, वे हमें झुठलाने के लिए होते हैं,
इरादे जो किए थे उन पे अमल कर लेते,
जो ख़्वाब देखे थे वो सारे दख़ल कर लेते,