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अज़ल 🤔 तो मुफ़्त में बदनाम है 🌏 ज़माने में
कुछ उनसे पूछ जिन्हें ज़िंदगी 😭 ने मारा है !
फ़ैज़ !!

जैसा 😣 दर्द हो वैसा मंज़र होता है !!
मौसम ⛅ तो इंसान के अंदर 🤗 होता है !!
अज़ीज़ ऐजाज़ !!

तिरे चराग़ अलग हों मिरे 🔥 चराग़ अलग !!
मगर ⛅ उजाला तो फिर भी जुदा 💕 नहीं होता !!
वसीम बरेलवी !!

मैं🤔 अकेला ही चला था जानिबे-मंज़िल मगर !!
लोग 👫 साथ आते गए और कारवां 🏙️ बनता गया !!
मजरूह सुल्तानपुरी !!

रगों 🤔 में दौड़ने फ़िरने के हम 🤗 नहीं कायल !!
जो 👁️ आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है !!
ग़ालिब !!

ऐसी 🤔 तारीकियां आंखों 👁️ में बसी हैं कि फ़राज़ !!
रात 🏙️ तो रात है हम दिन को जलाते हैं 🔥 चराग़ !!
अहमद फ़राज़ !!

लम्हों के अज़ाब सह 😱 रहा हूं !!
मैं 🤔 अपने वजूद की सज़ा हूं !!
अतहर नफ़ीस !!

कभी मेरी तलब कच्चे घड़े 😌 पर पार उतरती है !!
कभी 🤔 महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र 🏞️ करने से डरता हूं !!
फ़रीद परबती !!

जहां चोट खाना वहीं 🤗 मुस्कुराना !!
मगर 🔥 इस अदा से कि रो 😭 दे जमाना !!
वामिक जौनपुरी !!

मेरी मुट्ठी में सुलगती रेत रख कर चल 🤗दिया !!
कितनी 🤔आवाज़ें दिया करता था ये🌉 दरिया मुझे !!
बशीर बद्र

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