patang mahotsav
हर पतंग को इक दिन कचरे में
जाना है पर उससे पहले आसमान
छूकर दिखाना है
आकाश में उड़ते हुए पतंग को
देखता हूँ खुश होने के लिए
बचपन को याद कर लेता हूँ
मिली उससे नजरें और कटी पतंग
आँखों में धार थी उसके इतनी दबंग
लड़े नैन के पैच तो उड़े पतंग के
परखच्चे कटे हुए इस सच्चे प्यार
को लुटने दौड़े फिर बच्चे
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खींची प्यार की डोरी पतंग
संग चली आयी गौरी फिर लड़े
नैन के पैचे और पड़ोस के बच्चों
ने पतंग जा तोड़ी
वो इठलाई पतंग के संग संग
दिखाने लगी प्यार के रंग
चली हवा तन से सरकी चुनरी
हुआ दिल घायल टूटे पतंग के तंग
फंसा झाड़ी में दिल देख उसका यौवन
patang mahotsav ahmedabad
उसने काटी हमारी डोरी
हमने देख फ़िदा हुए उनके लब
उस डोरी से उड़ाये जब वह पतंग
लगे दिल ही उड़ रहा है अब
लपेट लिया दिल की चरखी में
मांझा हमारा तोड़कर
अब जब भी लड़ाये वह पैच हमसे
बस देते ढील लव यू बोलकर
हमने तेरी मोहब्बत आज इस जहां
को दिखला दी नाम लिखकर पतंग
पे तेरा आसमां में उड़ा दी
आसमां में उड़ती एक पतंग दिखाई
दी आज फिर मुझको तेरी मोहब्बत
दिखाई दी