rishte ghamand shayari
पागल हैं ये दीवाने ये जानते ही नही,
सारी बुराईयों की जड़ ये पैसा है,
पैसा कमाने से ‘हरि’ को ऐतराज नही,
गर कमाया पैसा नाजायज नही,
जो ठोकरों में जहाँ रखते है,
वो जेब में पैसा कहाँ रखते है,
हर महंगी चीज लगे सस्ती तुम्हें,
पसा कमाकर बनानी है अपनी
हस्ती तुम्हेंपैसा कितना भी हो जाए
तुम मौत से बच नहीं सकते,
मैं पैसा हूँ मैं भगवान नही,
पर मुझे लोग मानते भगवान से कम नही,
आज कल डॉक्टर भी जान बाद में बचते हैं
पहले देखते हैं की मरीज़ की जेब मे,
पैसा बचा है की नहीं,
जब दिल में हो अरमान साथ बैठ कर खाने के,
अकेले अकेले खा कर ख़ुशी का अहसास नही होता,
किसी के कहने पर नहीं अपने आप कराता है,
इलज़ाम इंसान पर है पर पैसा सारे पाप कराता है,
matlabi rishte
जरूरतें कम कर लो जितना भी पैसा,
कमाओगे अधिक होगा, जरूरतें अधिक,
कर लो जितना भी पैसा कमाओगे कम होगा,
पैसा वो बोली है जो बहरों को भी समझ आती है,
लोगों को झुकते देखा है कैसे कैसो के आगे,
सब कुछ छोटा सा लगता है पैसों जूतों की,
क़ीमत है जान की किसे परवाह है, पैसा,
ही मंदिर अब पैसा ही दरगाह है,
उसी के गीत गाये जाते है उसी का भजन होता है,
जिसकी जेब भारी होती है उसी की बात
का वजन होता है,
सभी के तलवे चाटूँ मैं ऐसा थोड़ी हूँ,
सभी को पसंद आऊं मैं पैसा थोड़ी हूँ,
हर चीज़ की अहमियत मत आकियें पैसे,
सेदुनिया में हर चीज़ की कीमत पैसा नही होता,