dosti sad shayari
कोई खुशियों की चाह में रोया, कोई दुखों की पनाह में रोया
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का!! कोई भरोसे के लिए रोया!! कोई भरोसा कर के रोया!!
ढूंढ लेते तुम्हे हम,😉 शहर कि भीड़ इतनी भी न थी!!पर रोक दी तलाश हमने क्योंकि तुम खोये नहीं बदल गए थे!!
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद, अब कोई अच्छा भी लगे तो!! इज़हार नहीं करता !!
रोज़😉रोज़ जलते हैं!!फिर भी खाक़ न हुएं!!अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी,😉 बुझ कर भी राख़ न हुएं!!
हिम्मत इतनी थी समुन्दर भी पार कर सकते थे!!
मजबूर इतने हुए कि दो बूंद आँसूओं ने डुबो दिया!!
अगर न लिखते हम तो कबके राख हो गए होते,
दिल के साथ साथ रूह में भी सुराख हो गए होते!!
उम्मीदें छोड़ी हैं तुमसे मुहब्बत नहीं…
नज़रों को यूं ही झुका देने से नींद नही आती, सोते वहीं है जीनके पास किसीकी यादें नहीं होती!!
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी ख़ातिर, तुझसे फासला भी शायद उनकी बद-दुआओं का असर है!!
जो कभी न भर पाएं ऐसा भी एक घाव है, जी हा !!उसका नाम लगाव है!!