sad shayari dosti
मेरी नज़र से उतर गया फिर मुझे फर्क नही!!
पड़ता वो किधर गया!!
उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी!!
जहाँ सारा शहर अपना था और तुम अजनबी!!
हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो!!
ज़रा मचल गये! तो शहर ले डूबेंगे!!
ज़हां से तेरी बादशाही खत्म होंती है!!
वहां से मेरी नवाबी शुरु होती है!!
जरूरी नहीं की सबकी नज़रों में अच्छे ही बनों!!
कुछ लोगों की नज़रों में खटकने का मज़ा ही कुछ और है!!
तू सचमुच जुड़ा है अगर मेरी जिंदगी के साथ!!
तो क़ुबूल कर मुझे मेरी हर कमी के साथ!!
हम दुश्मनों को भी बड़ी शानदार सजा देते हैं!
हात नहीं उठाते बस नज़रों से गिरा देते हैं!!
किसीकी क्या मजाल जो खरीद सकता हमको!!
वो तो हम ही बिक गये खरीददार देख के!!
तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है!!
ख़ुशबू तो खुद ही बता देती है, कौन सा फूल है!!
तेवर तो हम वक्त आने पर दिखायेंगे!!
शहर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे !!