safar ki shayari
मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था
एक अजनबी मिला और
उसने अपना बना लिया
हज़ार राह चले फिर वो रहगुज़र आई
कि इक सफ़र में रहे और हर सफ़र से गए
हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा
चाँद के साथ चलोगे कब तक
best safar shayari
ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हम
गहरे समुंदरों में सफ़र कर रहे हैं हम
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
हम-सफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ
love safar shayari
सिर्फ़ दरवाज़े तलक जा के ही लौट आया हूँ
ऐसा लगता है कि सदियों का सफ़र कर आया
हम-सफ़र ढूँडो न रहबर का सहारा चाहो
ठोकरें खाओगे तो ख़ुद ही सँभल जाओगे
चंद ख़ुशियों को बहम* करने में
आदमी कितना बिखर जाता है