shiv ji shayari
विश्व का कण कण शिव मय हो
अब हर शक्ति का अवतार उठे
जल थल और अम्बर से फिर
बम बम भोले की जय जयकार उठे
मर-मर के तू लाख जन्म ले ले
हाथ में तेरे राख भी ना आयेगा
आरंभ तेरा तुझसे है
अंत में तू महाकाल के पास जायेगा
शव हूँ मैं भी शिव बिना
शव में शिव का वास
शिव मेरे आराध्य हैं
मैं हूँ शिव का दास
यह कैसी घटा छाई हैं
हवा में नई सुर्खी आई है
फ़ैली है जो सुगंध हवा में
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है
इस मौसम में ठंड उनको लगेगी
जिनके कर्मों में दाग है
हम तो महाकाल के भक्त हैं
भैया हमारे तो मुंह में भी आग है
जय भोलेनाथ
ना पूछो मुझसे मेरी पहचान
मैं तो भस्मधारी हूँ
भस्म से होता जिनका श्रृंगार
मैं उस भोलेनाथ का पुजारी हूँ
जिंदगी जीना आसान नहीं होता
बिना कर्मों के कोई महान नहीं होता
जब तक न पड़े हथौड़े की चोट
पत्थर भी भगवान नहीं होता
जय भोलेनाथ
सारा जहाँ है जिसकी शरण में
नमन है उस शिव जी के चरण में
बने उस शिवजी के चरणों की धुल
आओ मिल कर चढ़ाये हम श्रद्धा के फूल
सागर मथ के सभी देवता अमृत पर ललचाए
तुम अभ्यंकर विष को पीकर
नीलकंठ कहलाए।जय भोलेनाथ
कर्ता करे न कर सके
शिव करे सो होये
तीन लोक नो खंड में
शिव से बड़ा ना कोय